धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥
Lord, when the ocean was churned as well as fatal poison emerged, out of the deep compassion for all, You drank the poison and saved the world from destruction. Your throat turned blue, Hence You're often known as Nilakantha.
Whosoever delivers incense, prasad and performs arti to Lord Shiva, with like and devotion, enjoys substance joy and spiritual bliss With Shiv chaisa this environment and hereafter ascends into the abode of Lord Shiva. shiv chalisa in hindi The poet prays that Lord Shiva eradicated the struggling of all and grants them eternal bliss.
अथ श्री बृहस्पतिवार व्रत कथा
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥
श्रीरामचरितमानस धर्म संग्रह धर्म-संसार एकादशी
तज्ञमज्ञान – Shiv chaisa पाथोधि – घटसंभवं, सर्वगं, सर्वसौभाग्यमूलं ।
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मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥ वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे ।
संकट में पूछत नहिं कोई ॥ स्वामी एक है आस तुम्हारी ।
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण ॥
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